अभी फंसा है वार्डबंदी का मामला, तीन साल से अटका निगम चुनाव, इस साल भी मुश्किल

बार बार लटक रही नगर निगम सोनीपत की वार्डबंदी से मेयर और पार्षदों का चुनाव फिर लटक सकता है। क्योंकि मौजूद वार्डबंदी के खिलाफ कुछ गांव कोर्ट में चले गए हैं। इससे तैयारी में लगे नेताओं की चिंताएं बढ़ गईं हैं। यदि चुनाव लटका तो विधानसभा चुनाव के बाद बदले नए राजनीतिक माहौल का लाभ लेने की उम्मीदों को झटका लगेगा। चार साल पहले बने सोनीपत नगर निगम का दायरा करोड़ों रुपए खर्च किए जाने के बावजूद अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है। अभी जो वार्डबंदी हुई हैै। इसमें सात गांवों ने निगम में शामिल होने तथा कुछ गांवों ने निगम से बाहर निकाले जाने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की है। इसकी सुनवाई अगले महीने होगी। यदि नए गांवों को निगम में शामिल किया जाता है तो वार्ड बंदी की प्रक्रिया फिर से करवानी पड़ सकती है। वार्ड बंदी पर अब तक निगम प्रशासन के करीब तीन करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।

एक साल का मिला था एक्सटेंशन

नियमानुसार नगर निगम के गठन के तीन साल के भीतर मेयर का चुनाव कराना जरूरी है। लेकिन विवादों में फंसी वार्ड बंदी के चलते यह चुनाव समय सीमा में नहीं कराया जा सका। इसके चलते विधानसभा में बिल पारित कराकर नियमों बदलाव करना पड़ा और चुनाव के लिए एक साल का समय दिया गया। अब यह चुनाव अंबाला एवं पंचकूला के स्थानीय निकाय के साथ कराए जाने का प्रस्ताव है। लेकिन वार्ड बंदी के नये विवाद के चलते यह फिर फंसता नजर आ रहा है।

चार साल विवाद और आंदोलन में फंसी है वार्डबंदी, करोड़ों हो चुके खर्च

जुलाई 2015 में सोनीपत नगर परिषद को नगर निगम बनाया था। अक्तूबर 2016 में वार्डबंदी के लिए एक कमेटी गठित की गई और जनवरी 2017 में एक एजेंसी को सर्वे का काम सौंपा गया। संबंधित एजेंसी ने काम शुरू नहीं किया तो निगम की ओर से वार्डबंदी के लिए दोबारा टेंडर किया गया। इसके बाद 2018 में निगम की ओर से वार्डबंदी की गई थी। इसमें 4 लाख 1 हजार 366 की आबादी के लिए 22 वार्ड बनाए गए थे। लेकिन वार्डबंदी की अधिसूचना जारी होते ही नगर निगम में शामिल 26 गांवों को बाहर निकालने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू हो गया। इसपर 12 गांवों को निगम से बाहर कर दोबारा से वार्डबंदी शुरू की गई थी। इस बीच विभिन्न गांवों ने निगम में दोबारा शामिल किए जाने को लेकर भी कोर्ट में याचिका लगा दी। अबतक वार्डबंदी पर तीन करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। मौजूदा वार्डबंदी के अनुसार क्षेत्र की आबादी 4.27 लाख। इसके लिए 20 वार्ड बनाये गए हैं। इसमें 7 महिलाओं, दो पिछड़ा वर्ग व तीन एससी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। अब 8481 परिवारों के 2 लाख 29 हजार 177 वोटर अपने मेयर व पार्षदों का चुनाव करेंगे। निगम अधिकारियों के अनुसार इस समय कोर्ट में दीपालपुर, खेवड़ा, रेवली,राई असावरपुर, चौहान जोशी, हरसाना कलां बैंयापुर खुर्द को लेकर मामला अटका पड़ा है। जठेड़ी गांव के एक हिस्से को लेकर भी अभी मामला अधर में हैं।

मेयर का प्रत्यक्ष चुनाव होगा: नगर निगमों के लिए मेयर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होगा। यानी कि मेयर के लिए मतदाता सीधे वोट डालेंगे, जबकि सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चयन निर्वाचित पार्षद करेंगे।

निगम में पहले 26 गांव किए थे शामिल

नगर निगम जुलाई 2015 में बनने के साथ ही 26 गांवों को इसमें शामिल किया गया था। उसके बाद गांवों के कुछ लोगों ने आरोप लगाया था कि निगम ने गांवों का 157 करोड़ रुपए व 3700 एकड़ पंचायती जमीन को ट्रांसफर कराकर अपने पास रख लिया है। फिर 12 गांव के लोगों ने निगम से बाहर निकालने की मांग की गई थी जिसे सीएम की मंजूरी प्रदान कर दी थी।

अधिकारी बोले- अभी सब कोर्ट में विचाराधीन


विरोध के बाद ये 12 गांव हैं अब निगम से बाहर

निगम से बाहर होने वाले दीपालपुर, मुकीमपुर, खेवड़ा, मुरथल, नांगलखुर्द, कुमासपुर, किशोरा, जोशी चौहान, बैंयापुर, हरसाना, बहालगढ़, असावरपुर गांवों में पंचायती राज लागू कर दिया गया है।